ठण्ड का मौसम था | बाग़ हरियाली से दमक रहा था | तब ही बादशाह अकबर ने सभापतियों को बाग़ में दरबार लगाने का हुक्म दिया | हुक्म की तालीम हुई और पूरा दरबार, अकबर और बीरबल बाग़ में बैठे |
अकबर के आदेश पर बीरबल सभा में न्याय का कार्य देख रहा था | कई लोगों की न्याय याचिका सभा में पढ़ी गई जिनका बीरबल ने अपनी सूझ बुझ से न्याय किया लगभग सारी याचिकायें पढ़ी गई |न्याय के इस कार्य में कई घंटे बीत गये |
थोड़ी देर बाद दरबार में एक व्यापारी आया | उसने चौरी की अर्जी लगाई थी | उसने कहा – एक बार वो दिल्ली गया था | वहाँ उसने सोने का कबूतर देखा | उसके पंख सोने के थे | उसने वो कबूतर पुरे 10 सोने के सिक्के देकर ख़रीदा था | दिल्ली से आने के बाद उसने उस कबूतर को अपने घर में पिंजरे में रखा था और रोज सुबह और शाम उसे दाना डालता था | रात्रि को उसने दाना डाला था लेकिन अगले दिन उसने बाहर जाना था इसलिए यह कार्य घर के नौकरों को सौंप दिया | जब वह वापस आया तो कबूतर पिंजरे में नहीं था | अब उसे नौकरों पर शक हैं कि उन्होंने मेरे कबूतर को मार दिया पर उसके पास कोई सबूत नहीं हैं |
व्यापारी के शक के आधार पर घर के नौकरों को दरबार में लाया गया | उसने कई सवाल पूछे पर किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया | समझना मुश्किल था कि कबूतर को किसने गायब किया | तब ही बीरबल उठा और नौकरों के चारो तरफ चक्कर लगाते हुए उसने जोर- जोर से हँसना शुरू कर दिया | अकबर ने हँसने का कारण पूछा | तब बीरबल ने हँसी रोकते हुए बोला – महाराज चौर तो हम सबके सामने ही हैं | उसने जब कबूतर को पकड़ा तो कबूतर के पंख उसकी पीठ पर कमीज के उपर चिपक गये जिसे वो हटाना भूल गया और दरबार में आ गया | बीरबल की बात सुनकर एक नौकर घबराया और उसने अपने हाथो को अपनी पीठ पर फैर का जानने का प्रयास किया कि क्या उसकी कमीज पंख हैं | ऐसा करते उसे बीरबल ने देख लिया और झट से उसे आगे कर चौर के रूप में दरबार में पैश किया |
अकबर बीरबलसबने उसकी कमीज देखी जिस पर कोई पंख नहीं था | तब बीरबल ने कहा उसने चौर को पकड़ने के लिए झूठ कहा था | उसे पता था जिसने चौरी की हैं वो जरुर अपनी पीठ की तरफ अपने हाथ बढ़ायेगा और अन्य नौकर सहजता से दरबार में खड़े रहेंगे और वही हुआ | इस तरह बीरबल ने सोने के कबूतर की चौरी का न्याय किया जिसे देख कर फिर से Akbar ने Birbal की तारीफ की और सभी दरबारियों का चेहरा उतर गया |
Akbar Birbal ke Kisse बहुत ही रोचक होते हैं आपको यह किस्सा कैसा लगा ? कमेंट बॉक्स में लिखे |
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