भारतीय रेलवे के इंजीनियर अश्विनी उपाध्याय ने शहरी ट्रांसपोर्ट हेतु अनूठा हल खोज निकाला है. कैटरपिलर ट्रेन के नाम से मशहूर हो चुके इस नए नवेले ट्रांसपोर्ट कॉन्सेप्ट पर दुनिया के जाने-माने तकनीकी संस्थान मैसाच्यूसेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने भी 23 अगस्त 2016 को स्वीकृति दे दी.
रेलवे में आईआरटीएस अधिकारी अश्विनी कुमार उपाध्याय के कैटरपिलर ट्रेन के कॉन्सेप्ट को एमआईटी के क्लाइमेट कोलैब कॉन्टेस्ट में पॉपुलर कैटेगरी और जजेज च्वाइस दोनों में ही चुना गया है.
- अश्विनी कुमार के अनुसार कैटरपिलर ट्रेन का आइडिया उन्हें सिंगापुर में एमआईटी की स्कॉलरशिप पर अपना रिसर्च पूरा करने के दरम्यान आया.
- इस विषय पर अमेरिकन इंजीनियर एमिल जैकब से उन्होंने चर्चा की.
- दोनों के बीच डेढ़ साल इस कॉन्सेप्ट पर काम करने के बाद कैटरपिलर ट्रेन का आइडिया बना.
कैटरपिलर ट्रेन के बारे में-
- यह दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों की ट्रैफिक समस्या हेतु एक स्थाई समाधान हो सकता है.
- इसमें मेट्रो ट्रेन के मुकाबले लागत मात्र पंद्रहवां हिस्सा है.
- दिल्ली जैसे शहर में बढ़ती कारों के बीच छोटी-छोटी गलियों में लास्ट माइल कनेक्टिविटी देना मुश्किल हो गया है. इसमे यह मददगार हो सकती है.
कैसे चलेगी कैटरपिलर ट्रेन-
- कैटरपिलर ट्रेन सिस्टम में पूरी की पूरी ट्रेन व्यवस्था सड़क के ऊपर ही बनाई जा सकती है.
- आर्क के आकार में खंबे लगाकर इनके ऊपर रेल पटरी बिछाई जाएगी.
- इन पटरियों पर 20 लोगों के बैठने के लिए डिब्बे चलाए जाएंगे.
- ये डिब्बे दोहरे स्तर पर चलेंगे.
- आधे डिब्बे पटरियों पर लटक कर तो वहीं आधे डिब्बे पटरियों के ऊपर चलेंगे.
- ये डिब्बे ऐसे होंगे कि इनमें चारों तरफ गेट होंगे और ये जीपीएस के जरिए आटोमेटेड तरीके से बिजली के जरिए चलेंगे.
- इन डिब्बों में आठ जोड़ी छोटे पहिए लगे होंगे जो इस ट्रेन को चलाएंगे.
ट्रेन की मुख्य विशेषता-
- कैटरपिलर ट्रेन को ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी.
- इसके स्टेशन दो पटरियों के क्रॉस सेक्शन पर भी होंगे.
- डिब्बों में सिर्फ और सिर्फ बैठने की ही व्यवस्था होगी.
- इन डिब्बों में यात्री के सामने स्क्रीन होगी जिसमें वो अपनी लोकेशन चुन सकेगा.
- ट्रेन यात्री को उचित स्टेशन पर उतार देगी.
- यदि ट्रेन फुल है और किसी स्टेशन पर कोई यात्री उतर नहीं रहा है तो वो ट्रेन उस स्टेशन पर नहीं रुकेगी.
- इससे यात्रियों को जल्दी पहुंचाने में मदद मिलेगी.
- इस ट्रेन को 100 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत स्पीड पर चलाया जा सकता है.
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