दोस्त कही, दोष न बनजाये..|| How to identity True Friend..?


ज्यादातर देखा गया है की हम किसी के लिये कहते है की ये हमारा dost है। लकिन last में T  नही लगाते है तो ये बन जाता है DOSH 

चलिए दोनों में अन्तर समझते है।

दोस्त वो होता है जिसके जिसके साथ रहने से हमारी Reputation और Knowledge बढे, तथा दिन ब दिन हम Progress की ओर चले।
जैसे चन्दन के आसपास के पेड़ो में भी चन्दन जैसी खुशबु आ जाती है।

वंही दूसरी तरफ दोष वो होता है। जिसके साथ रहने से हमारी Reputation down हो और Knowledge भी कम हो, साथ ही हमारा Time व पैसा दोनों बेकार जाये।
जैसे चोर के साथ रहने वाले को भी लोग चोर ही समझते है ।
आप खुद ही देख लीजिये जब आप अपने ऑफिस या स्कूल में किसी आदमी को किसी बदनाम व्यक्ति के साथ देखते है तो आपको अपने आप वो आदमी बुरा लगने लगता है जो बदनाम व्यक्ति के साथ है। आपको लगता है की वो आदमी भी वैसा ही है। चाहे वो आदमी फिर कितना भी अच्छा हो मगर उसकी गलत image बन जाती है।

सच्चे दोस्तों का काम होता है की अपने दोस्त की बुराईयो को दूर करने में मदद करे। और पूरा ग्रुप कोई valuable काम करे। जैसे कई सारी लकड़ियो के टुकड़े किसी काम के नही होते मगर जब उनसे सीढ़ी बनायीं जाती है तो वो ऊंचाइयों को छूने के काम आती है या अगर फिर आप उनसे अपनी टेबल या कुर्सी भी बना सकते है। मतलब ये है की कोई व्यक्ति अकेला कुछ नही कर सकता उसे अपनी जिंदगी में दोस्त तो चाहिए ही कुछ achieve  करने के लिए मगर ये बात ध्यान में रखे की वो दोस्त से दोष न बन ।

जैसे हम जब किसी Organisation या स्कूल में होते है तो हमारे बहुत सारे दोस्त बनते है। वो भी intelligent होते है और हम भी, मगर जब हम दोस्त बनते है तो हमारा maximum टाइम इधर-उधर की बाते करने में ही ख़राब हो होता है। और दोनों की progress रुक जाती है। जैसे आग और पानी दोनों ही मूल्यवान है। मगर जब दोनों एक दूसरे के direct संपर्क में आते है। तो एक दूसरे का नाश करते है। अगर उन्हें किसी combination में use किया जाये तो चमत्कार हो जाता है। जैसा जेम्स वाट ने Water Rail इंजन बना कर दिखाया था।

हमें चाहिए की हम जब किसी के दोस्त बने तो दोनों मिलकर किसी target को सेट करे, उसके लिए साथ में work करे और फिर एक दूसरे से discuss करे और एक दूसरे की कमियाँ बताये क्योंकि आपके Boss या Teacher individually सब की कमियाँ बता नही सकते। ये काम तो बस एक दोस्त ही कर सकता है। और भगवान ने दोस्त बनाये भी इसीलिए है। क्योंकि भगवान हर जगह सबकी मदद के लिए नही आ सकते। इसलिए उन्होंने दोस्त की रचना की।

हमे चाहिए की हम रोज अपने पुरे दिन का अवलोकन करे और देखे की आज हमने क्या क्या नया सीखा या achieve किया। किसके साथ रहने से हमें क्या नया ज्ञान मिला। और किसके साथ रहने से टाइम और रेपुटेशन की बर्बादी हुई। फिर दोस्तों और दोषो की लिस्ट बनाये। दोस्तों के संपर्क में रहने की ज्यादा कोशिश करे और दोषो को avoid करे।

 इस विषय में बहुत कुछ लिख सकते है। मगर मैं यंही विराम करता हूँ। क्योंकि मैं भी आपका दोस्त हूँ और आपका समय मूल्यवान है।

 शिक्षा: हमेशा दोस्तों के संपर्क में रहने की कोशिश करे व दोषो को avoid करे। व खुद भी दोस्त बनकर दुसरो के अवगुढ़ को दूर करे।


 -  केवल कुमार
पेशा - मैकेनिकल इंजिनियर

धन्यबाद!



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