भगत सिंह

   जब शक्ति का दुरूपयोग हो तो वो हिंसा बन जाती है, लेकिन जब शक्ति का प्रयोग किसी सही कार्य में किया जाये तो वो न्याय का ही एक रूप बन जाती है।
ये क्रांतिकारी विचार थे, महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह के। उनका कहना था कि कोई भी त्याग हमारी मातृभूमि की आजादी से बड़ा नहीं है, आज हम स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं,
ये इन्हीं लोगों का त्याग है। जब भारत की आजादी के किस्से सुने जाते हैं तो भगत सिंह का नाम ही सबसे ऊपर आता है। तो आइये जानें सरदार भगत सिंह के बारे में और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की कोशिश करें

   सरदार भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पंजाब में हुआ था। इनके पिता का नाम किशन सिंह और माँ विद्यवती थीं, ये एक सिख परिवार से थे और इनके परिवार के लोगों में भी देशभक्ति की भावना थी। भगत सिंह के जन्म के समय ही इनके पिता और 2 चाचा जेल से आजाद हुए थे जो पहले से मातृभूमि की आजादी के लिए प्रयास कर रहे थे। बचपन से ही भगत सिंह को देशभक्ति की भावना वाला माहौल मिला और इसी तरह इस भावना ने उनके जेहन में एक गहरी छाप छोड़ी। वीर भगत सिंह सपने में भी देश की आजादी के बारे में सोचा करते। जिस इंसान के अंदर बचपन से ही इतनी देशभक्ति की भावना हो, उससे बड़ा देशभक्त कोई दूसरा हो ही नहीं सकता।

भगत सिंह का एक क्रांतिकारी विचार

Ø  मेरा जन्म एक पवित्र कार्य के लिए हुआ है, देश की आजादी ही मेरा परम धर्म है
मेरे लिए कोई आराम नहीं है और मुझे मेरे लक्ष्य से कोई नहीं रोक सकता।

Ø  इंनके दादा इतने स्वाभिमानी थे कि उन्होंने ब्रिटिश स्कूल में भगत सिंह को पढ़ाने से मना कर दिया तो गाँव के ही आर्य समाज के स्कूल में इनकी बाल्य शिक्षा हुई।


    1919 में जब जलियाँ वाला कांड हुआ जिसमें हजारों निहत्थों पर गोलियाँ चलाई गयीं, उन दिनों भगत सिंह मात्र 12 साल के थे इस घटना ने उनके आक्रोश को बहुत बढ़ावा दिया। इसके बाद मात्र 14 साल की उम्र में, जब 20 फरवरी 1921 को गुरुद्वारा नानक साहिब पे लोगों पर गोलियाँ चलाई गयीं तो भगत सिंह ने इसके विरोध में प्रदर्शनकारियों में हिस्सा लिया। एक तरफ जहाँ महात्मा गांधी ने अहिंसा का विचार रखा था वहीं 1922 में जब चौरा चौरी हत्याकांड हुआ तो भगत का खून खौल उठा और उन्होंने मात्र 15 साल की उम्र में युवा क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया और ये उस गुट के सरदार भी बने।

प्रेरक प्रसंग Patriotic Story of Sardar Bhagat Singh
   भगत सिंह के जीवन से जुडी एक घटना है, भगत सिंह की माँ अक्सर देखा करती थीं कि वो एक अगरबत्ती लेकर रोज के छोटे कमरे में जाते और कमरा अंदर से बंद करके घंटों अंदर ही रहते। एक दिन जब भगत सिंह अगरबत्ती लेकर कमरे में दाखिल हुए तो माँ ने जिज्ञासावश एक कोने से अंदर देखा तो उनका कलेजा भर आया। भगत सिंह के एक हाथ में अगरबत्ती थी और सामने भारत माँ की तस्वीर टंगी थी और भगत सिंह फूट फूट कर रो रहे थे। उनकी आँखों में एक चमक थी आजादी की चमक। वो बार बार भारत माँ से वादा कर रहे थे कि माँ मैं अपने प्राणों की आहुति देकर तुझे आजाद कराऊंगा। ये देखकर माँ का सीना गर्व से फूल गया। ऐसे थे हमारे सरदार भगत सिंह, अगर उनके जीवन की 1 भी बात हमने जीवन में ढाल ली तो निश्चित आज उनको याद करना सफल होगा।

   23 मार्च 1931 को उनके नाम के आगे एक पदवी और जोड़ी गयी- “शहीद” शहीद भगत सिंह। 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को एक साथ फांसी की सजा सुनाई। भगत सिंह चाहते तो माफ़ी माँगकर फाँसी की सजा से बच सकते थे लेकिन मातृभूमि के इस सच्चे सपूत को झुकना पसंद नहीं था और मात्र 23 वर्ष की उम्र में इस वीर सपूत ने हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया। ऐसे देश प्रेमियों को कोटि कोटि नमन.………



शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार Bhagat Singh Quotes in Hindi-


·         जिंदगी अपने दम पे जी जाती है, दूसरों के कन्धों पे तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं- शहीद भगत सिंह

·         जीवन का अर्थ केवल अपने मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसको विकसित करना भी है- शहीद भगत सिंह

·         प्रेमी, पागल और कवि एक ही सामग्री के बने होते हैं -शहीद भगत सिंह

·         क्रांति लाना किसी एक अकेले इंसान की शक्ति के परे है इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा - शहीद भगत सिंह

·         क्रांति हर इंसान का एक अविच्छेद्य अधिकार है और स्वतंत्रता सबका अविनाशी अधिकार - शहीद भगत सिंह

·         कोई नियम या कानून तभी तक पवित्र और मान्य है जब तक ये लोगों की इच्छाओं को आदर करता है - शहीद भगत सिंह

·         जब कोई व्यक्ति प्रगति की ओर कदम बढ़ता है तो उसे आलोचना, अविश्वास और चुनौती का सामना करना पढता है - शहीद भगत सिंह

·         क्रांतिकारी विचारों के लिए एक स्वतंत्र भावना का होना बहुत जरुरी है - शहीद भगत सिंह

·         मैं जोर देकर कहता हूँ कि मेरे अंदर भी अच्छा जीवन जीने की महत्वकांक्षा और आशाएं हैं लेकिन मैं समय की माँग पर सब कुछ छोड़ने को तैयार हूँ यही सबसे बड़ा त्याग है -शहीद भगत सिंह

·         अगर सुनने वाला बहरा हो तो आपकी आवाज में दम होना जरुरी है - शहीद भगत सिंह



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