कब तक व्यक्ति की परिवार में पूछ होती हैं | Sanskrit Through of the day




यावद्वित्तोपार्जनसक्तः तावन्निजपरिवारो रक्तः ।


पश्चाज्जर्जरभूते देहे वार्तां कोऽपि न पृच्छति गेहे ॥

- भजगोविन्द स्तोत्र



Translitt:- 
Yavadvittoparjansaktaah tavannijparivaro raktaḥ.

Pashchajjarjarbhute dehe koऽP prichchati winter not gehe ||

- Bhajagovinda stotra


भावार्थ :- 

जब तक व्यक्ति धनोपार्जन में समर्थ है,

तब तक परिवार में सभी उसके प्रति स्नेह प्रदर्शित करते हैं

परन्तु अशक्त हो जाने पर उसे सामान्य बातचीत में भी नहीं पूछा जाता है ।


Translation:-

As long as you are earning money, your family loves you.
When you stop earning and the body becomes weak, no one in the house want to hear about you.





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