अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय - Abraham Lincoln Short Biography In Hindi


अब्राहम लिंकन (१२ फरवरी, १८०९ - १५ अप्रैल १८६५) अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १८६१ से १८६५ तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। उन्होने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट - गृहयुद्ध (अमेरिकी गृहयुद्ध) से पार लगाया। अमेरिका में दास प्रथा के अंत का श्रेय लिंकन को ही जाता है।

जन्म 

     अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 ई. को अमेरिका के केंचुकी नामक स्थान में एक गरीब किसान के घर हुआ था | उनके पिता का नाम टामस लिंकन एंव माता का नाम नैन्सी लिंकन था | जब वे मात्र 9 वर्ष के थे उनकी मां का देहांत हो गया, जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली | शायद यही कारण था कि लिंकन धीरे-धीरे अपने पिता से दूर होते चले गए | उनके माता-पिता अधिक शिक्षित नहीं थे इसलिए लिंकन की प्रारंभिक शिक्षा ठीक से नहीं हो सकी | किन्तु, कठिनाइयों पर विजय हासिल करते हुए उन्होंने न केवल अच्छी शिक्षा अर्जित की, बल्कि वकालत की डिग्री पाने में भी कामयाब रहे ।

वकालत

     वकालत से कमाई की दृष्टि से देखें तो अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से पहले अब्राहम लिंकन ने बीस साल तक असफल वकालत की. लेकिन उनकी वकालत से उन्हें और उनके मुवक्किलों को जितना संतोष और मानसिक शांति मिली वह धन-दौलत बनाने के आगे कुछ भी नहीं है। उनके वकालत के दिनों के सैंकड़ों सच्चे किस्से उनकी ईमानदारी और सज्जनता की गवाही देते हैं।
लिंकन अपने उन मुवक्किलों से अधिक फीस नहीं लेते थे जो ‘उनकी ही तरह गरीब’ थे। एक बार उनके एक मुवक्किल ने उन्हें पच्चीस डॉलर भेजे तो लिंकन ने उसमें से दस डॉलर यह कहकर लौटा दिए कि पंद्रह डॉलर पर्याप्त थे। आमतौर पर वे अपने मुवक्किलों को अदालत के बाहर ही राजीनामा करके मामला निपटा लेने की सलाह देते थे ताकि दोनों पक्षों का धन मुकदमेबाजी में बर्बाद न हो जाये. इसके बदलें में उन्हें न के बराबर ही फीस मिलती था। एक शहीद सैनिक की विधवा को उसकी पेंशन के 400 डॉलर दिलाने के लिए एक पेंशन एजेंट 200 डॉलर फीस में मांग रहा था। लिंकन ने उस महिला के लिए न केवल मुफ्त में वकालत की बल्कि उसके होटल में रहने का खर्चा और घर वापसी की टिकट का इंतजाम भी किया।
उन्होंने इसके बाद रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की |

लिंकन कभी भी धर्म के बारे में चर्चा नहीं करते थे और किसी चर्च से सम्बद्ध नहीं थे। एक बार उनके किसी मित्र ने उनसे उनके धार्मिक विचार के बारे में पूछा. लिंकन ने कहा – “बहुत पहले मैं इंडियाना में एक बूढ़े आदमी से मिला जो यह कहता था ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूँ तो अच्छा अनुभव करता हूँ और जब बुरा करता हूँ तो बुरा अनुभव करता हूँ’. यही मेरा धर्म है’।

राजनीतिक कैरियर

     6 नवम्बर 1860 को अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद लिंकन ने ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्य किए जिनका राष्ट्रीय ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व भी है | लिंकन की सबसे बड़ी उपलब्धि अमेरिका को ग्रह-युद्ध से उबारना था | इस कार्य हेतु 1865 ई. में अमेरिका के संविधान में 13वें संशोधन द्वारा दास-प्रथा के अन्त का श्रेय भी लिंकन को ही जाता है | लिंकन एक अच्छे राजनेता ही नहीं, बल्कि एक प्रखर वक्ता भी थे | प्रजातंत्र की परिभाषा देते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रजातंत्र जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन है |’ वे राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी सदा न केवल विनम्र रहे, बल्कि यथासंभव गरीबों की भलाई के लिए भी प्रयत्न करते रहे | दास-प्रथा के उन्मूलन के दौरान अत्यधिक विरोध का सामना करना पड़ा, किन्तु अपने कर्तव्य को समझते हुए वे अंततः इस कार्य को अंजाम देने में सफल रहें | अमेरिका में दास-प्रथा के अंत का अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व इसलिए भी है कि इसके बाद ही विश्व में दास-प्रथा के उन्मूलन का मार्ग प्रशस्त हुआ | अपने देश में इस कुप्रथा की समाप्ति के बाद विश्व के अन्य देशों में भी इसकी समाप्ति में उनकी की भूमिका उल्लेखनीय रही |


लिंकन का व्यक्तित्व मानव के लिए प्रेरणा का दुर्लभ स्त्रोत था | वे पूरी मानवता से प्रेम रखते थे | शत्र-मित्र की संकीर्ण भावना से वे कोसों दूर थे | इससे संबंधित एक रोचक प्रसंग यहां प्रस्तुत है | गृह-युद्ध के दौरान एक दिन सायंकाल वे अपने सैनिकों के शिविर में गए | वहाँ सभी का हालचाल पूछा और काफी समय सैनिकों के साथ बिताते हुए घायल सैनिकों से बातचीत कर उनका उत्साहवर्द्धन किया | जब वे शिविर से बहार आए तो अपने साथ के लोगों से कुछ बातचीत करने के बाद शत्रु सेना के शिविर में जा पहुंचे | वहां के सभी सैनिक व अफसर लिंकन को अपने बीच पाकर हैरान रह गए | लिंकन ने उन सभी से अत्यंत स्नेहपूर्वक बातचीत की | उन सभी को हालाँकि यह बड़ा अजीब लगा, फिर भी वे लिंकन के प्रति आत्मीय श्रद्धा से भर गए | जब लिंकन शिविर से बाहर निकले तो सभी उनके सम्मान में उठकर खड़े हो गए | लिंकन ने उन सभी का अभिवादन किया और अपनी कार में बैठने लगे | तभी वहां खड़ी एक वृद्धा ने कहा, ‘तुम तो अपने शत्रुओं से भी इतने प्रेम से मिलते हो, जबकि तुम में तो उन्हें समाप्त कर देने की भावना होनी चाहिए |’ तब लिंकन ने मुस्कुराकर जवाब दिया, ‘यह कार्य मैं उन्हें अपना मित्र बनाकर भी कर सकता हूं |’ इस प्रेरक प्रसंग से पता चलता है कि लिंकन इस बात में विश्वास करते थे कि मित्रता बड़ी-से-बड़ी शत्रुता का अन्त भी कर सकती है | वे अपने शत्रुओं के प्रति भी उदारवादी रवैया अपनाने में विश्वास करते थे |


हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि अमेरिका के अब तक के सभी राष्ट्रपतियों में लोकप्रियता के मामले में लिंकन शीर्षस्थ स्थान पर हैं | 14 अप्रैल 1865 को फोर्ड थियेटर में ‘अवर अमेरिकन कजिन’ नामक नाटक देखते समय जॉन विल्किस बूथ नाम के एक अभिनेता ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी | उनकी हत्या के बाद अमेरिका में विद्वानों की एक सभा में कहा गया, ‘लिंकन की भले ही हत्या कर दी गई हो, किन्तु मानवता की भलाई के लिए दास-प्रथा उन्मूलन का जो महत्वपूर्ण कार्य किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता | लिंकन अपने विचारों एवं कर्मों के साथ हमारे साथ सदैव रहेंगे |’ उनके व्यक्तित्व का ही अनुपम प्रभाव था कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा, अब्राहम लिंकन के योगदान को समझते हुए अपने राष्ट्रपति पद हेतु शपथ ग्रहण करने से पहले उस स्थान पर गए, जहां से लिंकन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी |
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