कहा जाता है
कि अकबर बड़े
ही विनोदी स्वभाव
के बादशाह थे।
वह अक्सर बीरबल
से कुछ टेढ़े-मेढ़े सवाल पूछ
लिया करते थे
जिसका जवाब बीरबल
भी उसी अंदाज
में देते थे।
एक दिन महाराज
अकबर ने बाग
में घूमते हुए
बीरबल से कहा,
हमें हरे रंग
का घोड़ा चाहिए।
तुम्हें हमारे लिए हरे
रंग का घोड़ा
लाना ही होगा।
अगर तुम हरे
रंग का घोड़ा
एक हफ्ते के
अंदर न ला
सके तो मैं
तुम्हें फांसी पर चढ़ा
दूंगा।
अकबर की यह
बात सुनकर बीरबल
समझ गए कि
बादशाह आज उनकी
परीक्षा लेना चाहते
हैं। अगले ही
दिन बीरबल दरबार
में गए और
बेहद खुश होते
हुए अकबर से
बोले, महाराज जल्दी
चलिए मुझे हरे
रंग का घोड़ा
मिल गया है।
बीरबल की बात
सुनकर अकबर आश्चर्य
में पड़ गए
क्योंकि वे भी
जानते थे कि
हरे रंग का
घोड़ा तो होता
ही नहीं। अकबर
ने कहा, कहां
चलना है?
बीरबर बोले, महाराज हरा
घोड़ा ढूंढने में
मेहनत तो बहुत
करनी पड़ी पर
आखिरकार मिल ही
गया है। पर
घोड़े के मालिक
की दो शर्तें
हैं। पहली तो
यह कि घोड़ा
लेने आपको स्वयं
उसके घर तक
जाना होगा।
अकबर खुश होकर
बोले, यह भी
कोई शर्त हुई
भला। मुझे मंजूर
है। दूसरी शर्त
बताओ
बीरबल ने कहा,
महाराज बात बस
इतनी सी है
कि घोड़े के
मालिक ने यह
भी कहा है
कि सप्ताह के
सात दिनों के
अलावा कभी भी
आकर घोड़ा ले
जाएं। यह सुनकर
बादशाह अकबर ठहाका
मारकर हंसने लगे।
इस तरह एक
बार फिर अकबर,
बीरबल की चतुरता
के कायल हो
गए।
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